हिंदी विभाग / Department of Hindi

Associate Professor

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श्री.शिवाजी प्रसारक संस्था के अंतर्गत महाविद्यालय की स्थापना (सन 1956) के तीन वर्ष बाद सन 1959 में महाविद्यालय में हिंदी विभाग कार्यान्वित हुआ। सन 1964 में महाविद्यालय में विशेष स्तर पर हिंदी विषय का अध्ययन आरंभ हुआ । सन 1668 में स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी का अध्ययन प्रांरभ हुआ, जिसकी विशेषता यह रही की पुना विश्वविद्यालय के अंतर्गत समस्त खान्देश का पहला और एक मात्र स्नातकोत्तर अध्ययन का केंद्र महाविद्यालय का हिंदी विभाग बना।

विभागाध्यक्ष शृखंला में – डॉ. दशरथ अस्नानी – सन 1960 से 1968, डॉ. भगवानदास तिवारी – सन 1969 – 1970, डॉ. पुरुषोत्तम दुबे – सन 1971 से 1981, डॉ. मुरलीधर शहा – सन 1982 से 1996, डॉ. विजयचंद्र – सन 1997 से 2006, डॉ. शिवाजी देवरे – सन 2007 से 2016, डॉ. अश्फाक सिकलगर – सन 2016 से कार्यरत है।

वर्तमान में विभाग के अंतर्गत कुल पांच अध्यापक कार्यरत है। जिनमें डॉ. अश्फाक इब्राहिम सिकलगर, डॉ. महेंद्रकुमार रामचंद्र वाढे, डॉ. अभयकुमार रमेश खैरनार, डॉ. प्रमोद गोकुल पाटील स्नातकोत्तर अध्यापक एवं शोध मार्गदर्शक है एवं सहा.प्रा. मच्छिद्र गुलाब ठाकरे स्नातक स्तर पर अध्यापन कर रहे हैं। विभाग के प्रथम चारों सदस्य क्रमशः कलामंडल, एनसीसी, संशोधन समिती एवं विद्यार्थी विकास विभाग के प्रमुख के तौर पर जिम्मेदारी निभाते हुए महाविद्यालय के कार्य में योगदान दे रहे हैं। सहा. प्रा. ठाकरे भी राष्ट्रीय सेवा योजना के सहायक कार्यक्रम अधिकारी के तौर पर कार्यरत है।

विभाग के अंतर्गत प्रतिवर्ष हिंदी परिषद का गठन किया जाता है, जो अनेक अनन्य उपक्रमों का आयोजन करती है। जिनमें तुलसी जंयती, छात्रों का स्वागत एवं विदाई समारोह, शिक्षक दिवस, हिंदी दिवस, हिंदी पखवाडा अंर्तगत – कवि संम्मेलन, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर प्रदर्शन, हिंदी की व्यावहारिकता को लेकर- अनुवाद एवं विज्ञापन कार्यशाला, छात्रों का विशेष मार्गदर्शन अंतर्गत – नेट / सेट कार्यशाला, पाठ्यक्रम पर आधारित समुह चर्चा, आमोद-प्रमोद यात्राओं के अंतर्गत साहित्यिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं अध्यात्मिक स्थानों का परिचय आदि का प्रतिवर्ष आयोजन सफलता पूर्वक किया जा रहा है।

विभाग के शोध मार्गदर्शकों में डॉ. महेंद्रकुमार वाढे, डॉ. अभयकुमार खैरनार एवं डॉ. प्रमोद पाटील के मार्गदर्शन में एक – एक शोधार्थी पीएच.डी. का कार्य कर रहे हैं। सभी अध्यापकों के शोध प्रपत्र एवं पुस्तक निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं। विभाग के सभी सदस्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चर्चासत्र एवं संगोष्ठियों में अपने शोधपत्र निरंतर प्रस्तुत करते हैं। विभाग ने विश्वविद्यालय, राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियां एवं उत्तर महाराष्ट्र हिंदी प्राध्यापक परिषद के अधिवेशन आदि का सफलता पूर्वक आयोजन किया है।